भारत में नवरात्रि एक अत्यंत पवित्र त्योहार है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना के लिए मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लाखों भक्त व्रत रखकर देवी मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि व्रत शरीर और मन की शुद्धि का एक माध्यम होता है। लेकिन कई बार लोग सही ढंग से व्रत करने के नियमों को नहीं जानते और व्रत का पूरा फल नहीं पा पाते। इस बीच, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज ने नवरात्रि व्रत के नियमों पर विस्तार से बताया है कि व्रत कैसे रखना चाहिए, क्या करना चाहिए और क्या तरजीह नहीं देनी चाहिए।
नवरात्रि व्रत को सिर्फ उपवास या भूखे रहने का नाम नहीं माना जाना चाहिए। यह एक आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मानव के मन, वाणी और कर्म को शुद्ध करता है। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, व्रत के दौरान संयम, सात्विक आहार, ध्यान और पूजा-अर्चना की विधि का सही पालन करना जरूरी है। व्रत का उद्देश्य माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करना तो है ही, साथ ही यह आत्मा की शुद्धि एवं मानसिक शांति का भी साधन है।
नवरात्रि का व्रत कैसे रखना चाहिए? (Premanand Ji Maharaj के नियम)
श्री प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि नवरात्रि व्रत के दौरान सही नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि व्रत सफल हो और भक्त को मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त हो। इनके बताए अनुसार नवरात्रि व्रत रखने का सही तरीका निम्नलिखित है:
- व्रत का संकल्प लें और निष्ठा से उसका पालन करें।
- व्रत के दिनों में सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें और पूजा करें।
- आहार में पूरी तरह सात्विकता बनाए रखें, तामसिक और भारी भोजन से बचें।
- मन और वाणी पर नियंत्रण रखें; क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- प्रतिदिन सूर्योदय से पहले या सुबह जल्दी मां दुर्गा की पूजा करें और आरती करना न भूलें।
- व्रत के दौरान दिन भर फलाहार करें या एक समय ही भोजन करें (अधोपवास)।
- बाल, दाढ़ी और नाखून न काटें।
- दिन में सोने से बचें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन कन्या पूजन और भोजन करवाएं।
नवरात्रि व्रत का सारांश — प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार
नियम क्रम | नियम विवरण |
1 | व्रत का संकल्प और मन से पूरी लगन |
2 | सुबह जल्दी उठा पूजा और घर की सफाई |
3 | केवल सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, मेवे आदि |
4 | प्याज, लहसुन, मांसाहारी तथा तंग करने वाले भोजन से परहेज |
5 | मन और वाणी को शुद्ध रखना, नकारात्मकता से दूर रहे |
6 | व्रत के दौरान एक समय भोजन या फलाहार करना |
7 | बाल न काटना और ब्रह्मचर्य का पालन |
8 | रोजाना मां दुर्गा की पूजा और आरती करना |
9 | क्रोध, झूठ, और बुरी बातों से बचना |
10 | अंतिम दिनों में कन्या पूजन और भोजन करवाना |
व्रत के दौरान आहार और पूजा पर ध्यान
प्रेमानंद जी महाराज व्रत के समय भोजन को विशेष महत्व देते हैं। उनका कहना है कि नवरात्रि के दौरान सुबह से दोपहर तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दोपहर में कोई फल या दूध लिया जा सकता है। शाम को पूजा और आरती के बाद हल्का फलाहार करें।
व्रत के दौरान फल, सूखे मेवे, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़ा और सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए। इसके विपरीत प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन, शराब तथा सामान्य नमक का सेवन वर्जित है। ऐसा करने से व्रत सात्विक बनता है और साधना सफल होती है।
पूजा के नियमों में सूर्योदय से पहले माँ दुर्गा की पूजा, ध्यान और आरती अनिवार्य है। दिन में कम से कम दो बार पूजा करें, इसके बाद ही फलाहार/भोजन करें। अंतिम दिन कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।
मन और वाणी पर नियंत्रण का महत्व
महाराज जी के अनुसार व्रत केवल खानपान तक सीमित नहीं है। इस दौरान व्यक्ति को अपने मन और वाणी को संयमित रखना चाहिए। क्रोध, झूठ, चोरी, बुरी नजर से दूर रहना, और केवल सकारात्मक विचारों को अपनाना आवश्यक है। तभी भक्त की भक्ति माँ दुर्गा के चरणों में सफल होती है।
व्रत संरचना का सारांश
- संकल्प लें और व्रत की नियमानुसार शुरुआत करें।
- नित्य पूजा करें, सूर्योदय से पहले अराधना करें।
- फलाहारी भोजन में सात्विकता रखें।
- मन, वाणी और आचरण को पवित्र रखें।
- नतीजतन व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त करें।
नवरात्रि व्रत के फायदे
प्रेमानंद जी महाराज का मत है कि नवरात्रि व्रत से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। संयमी भोजन और मानसिक शांति से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसके अलावा, व्रत से मन में धैर्य, श्रद्धा और शक्ति का संचार होता है।